हिन्दी

नई दिल्ली ने सिंधु जल समझौते रद्द किया, बाढ़ से पाकिस्तान में विनाश का तांडव

यह हिंदी अनुवाद अंग्रेज़ी के मूल Floods devastate Pakistan as New Delhi scraps Indus Water Treaty का है जो 7 सितंबर 2025 को प्रकाशित हुआ था।

4 सिततंबर 2025, गुरुवार, पाकिस्तान के गुजरात शहर में भारी बारिश के बाद पानी से डूबी सड़क से सुरक्षित जगह जाने की कोशिश में लोग। (एपी फ़ोटो/ए. रिज़वी) [AP Photo/A. Rizvi]

हाल के हफ़्तों में मूसलाधार मानसूनी बाढ़ से पाकिस्तान बुरी तरह प्रभावित हुआ है। इसमें 800 से ज़्यादा लोगों की जानें जा चुकी हैं और लाखों लोग प्रभावित हुए हैं। बाढ़ ने पाकिस्तान के चारों सूबों को प्रभावित किया है लेकिन ख़ैबर पख़्तूनख़्वा (केपी) और पंजाब सबसे ज़्यादा प्रभावित हुए हैं। पंजाब में सबसे ज़्यादा बाढ़ आई है जबकि केपी में सबसे ज़्यादा मौतें हुई हैं।

ये बाढ़ 2022 के बाद सबसे भयंकर है, जब 80 लाख लोग घरों से बेघर हुए थे और 20 लाख मकान तबाह हो गए थे।

इस बार की बाढ़ ने भारत को भी प्रभावित किया है, ख़ासकर पंजाब राज्य को। वहां 1,400 गांवों के 3.5 लाख से ज़्यादा लोग बेघर हो गए हैं और 46 मौतें दर्ज की गई हैं।

2022 की तरह, इस बार भी बाढ़ ने फ़सलों, पशुधन, स्कूलों, स्वास्थ्य सेवाओं और पुलों, सड़कों और बिजली ग्रिड जैसी अहम ढाँचागत सुविधाओं को तबाह कर दिया है।

ग्लेशियर झील फटने से आई बाढ़ (ग्लेशियर लेक आउटबर्स्ट फ़्लड) ने आपदा को और गंभीर बना दिया है जो बढ़ते तापमान और जलवायु परिवर्तन से जुड़ी ख़राब मौसम के कारण गिलगित-बाल्तिस्तान के दूरदराज़ इलाक़े में हुई है।

बाढ़ प्रभावित इलाक़ों में स्वास्थ्य सेवाएँ चरमरा गई हैं। मलेरिया, त्वचा रोग और बुख़ार जैसी बीमारियों के मामले तेज़ी से बढ़े हैं। सड़कें टूट जाने या बंद हो जाने की वजह से कई सामुदाय बाकी इलाक़ों से कट गए हैं, जिससे ज़रूरतमंद आबादी तक मदद पहुंचाना बेहद मुश्किल हो रहा है।

मानसूनी बारिशों के अभी और जारी रहने की आशंका है, हालात और बिगड़ने का ख़तरा है। अनुमान है कि बाढ़ का पानी सिंधु नदी में भरेगा, जिससे पाकिस्तान के दक्षिणी सिंध प्रांत के बड़े इलाक़े में डूब का ख़तरा बढ़ जाएगा।

पाकिस्तान के सबसे अधिक आबादी वाले सूबे पंजाब में 3.3 करोड़ से ज़्यादा लोग और 33,000 गांव सीधे तौर पर बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। सिंधु नदी की सहायक नदियां- रावी, सतलुज और चिनाब दो हफ़्ते पहले अपने किनारे तोड़ चुकी हैं। इसके बाद पंजाब के सबसे बुरी तरह प्रभावित ज़िलों में से एक, मुज़फ़्फ़रगढ़ के 3,900 गांव बाढ़ में डूब गए।

पिछले गुरुवार को, जब पंजाब में बाढ़ का ख़तरा बढ़ रहा था, अधिकारियों ने दावा किया कि पिछले 24 घंटे में ही पांच लाख से ज़्यादा लोगों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया गया है।

हज़ारों राहतकर्मी लगाए गए हैं जो नावों के सहारे बचाव कार्यों में लगे हैं, जबकि दसियों हज़ार लोगों ने राहत शिविरों में पनाह ली है। हालांकि इन शिविरों की स्थिति बेहद ख़राब बताई जा रही है। अल जज़ीरा की एक रिपोर्ट के अनुसार, एक विस्थापित व्यक्ति मलिक रमज़ान ने कहा कि वह किसी शेल्टर में जाने की बजाय पानी में डूबे अपने घर के पास ही रहना पसंद करेंगे। उन्होंने कहा, 'खाना समय पर नहीं मिलता और हमारे साथ भिखारियों जैसा सलूक किया जाता है।' रिपोर्ट में कहा गया कि इन शेल्टरों में साफ़ पीने का पानी नहीं है, न ही शौचालय की कोई ठीक सुविधा है। ऊपर से गर्मी और उमस के कारण लोग डिहाइड्रेशन का शिकार हो रहे हैं। यह सब मिलकर पानी से फैलने वाले रोगों की महामारी का ख़तरा और बढ़ा रहा है।

31 अगस्त को पंजाब की मुस्लिम लीग (नवाज़) सरकार में कई मंत्रालयों की ज़िम्मेदारी संभाल रहीं मरियम औरंगज़ेब ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस में कहा, 'यह पंजाब के इतिहास की सबसे बड़ी बाढ़ है। पहली बार तीनों नदियां, सतलुज, चिनाब और रावी में ख़तरे के निशान के इतने ऊपर पानी बह रहा है।'

करीब 12.8 करोड़ आबादी वाला पंजाब पाकिस्तान का प्रमुख कृषि क्षेत्र है और सबसे बड़ा गेहूँ उत्पादक इलाक़ा है। चिनियोट के एक किसान मुहम्मद अमजद (45) ने 1 सितम्बर को रॉयटर्स को बताया, 'मेरी 15 एकड़ ज़मीन में से 13 एकड़ डूब गई है। हमारी धान की फ़सल पूरी तरह तबाह हो गई है। औरतें और बच्चे निकाल लिए गए हैं। मर्द बचे हुए सामान की रखवाली कर रहे हैं।'

कुछ लोगों की रोज़ी-रोटी पूरी तरह ही छिन गई है। आमिश सुल्तान (50) ने कहा, 'मेरे पास 10 भैंसें हैं। वे इतनी कमज़ोर हो गई हैं कि बच्चों के लिए दूध भी नहीं बचा, बेचने की तो बात ही छोड़िए। पहले मैं हर महीने 1 लाख से 1.5 लाख रुपये कमाता था। अब वह आवग भी ख़त्म हो गई है।'

पाकिस्तानी हुक़ूमत ने इस आपदा पर बेहद सुस्त रवैया दिखाया है, जिससे एक बार फिर साफ़ हो गया कि मज़दूरों और ग्रामीण ग़रीबों की ज़िंदगियों के प्रति उनका रवैया लापरवाह है। हालांकि भयंकर बाढ़ें अब बहुत बार आ रही हैं, लेकिन लगातार आने वाली हुक़ूमतों ने सिंधु घाटी में पानी के प्रबंधन की कोई गंभीर योजना नहीं बनाई है।

2022 में पाकिस्तान में आई बाढ़ देश के इतिहास की सबसे घातक और व्यापक आपदाओं में से थी। इसमें लगभग 3.3 करोड़ लोग प्रभावित हुए, 80 लाख से ज़्यादा लोग विस्थापित हुए, 1,700 से ज़्यादा मौतें हुईं, और 30 अरब डॉलर से ज़्यादा का आर्थिक नुक़सान हुआ। इससे ग़रीबी रेखा से नीचे रहने वाले पाकिस्तानियों की संख्या 2020 के 17.1 फ़ीसदी से बढ़कर 2024 में 25.3 फ़ीसदी हो गई। 2010 में भी बाढ़ ने पाकिस्तान को तबाह किया था, जिसमें क़रीब 2,000 लोगों की मौत हुई, 2 करोड़ लोग प्रभावित हुए और बहुत बड़े मानवीय संकट के हालात पैदा हो गए थे।

सरकारी लापरवाही का सबूत देते हुए, मुल्तान के डिप्टी कमिश्नर वसीम हमाद सिंधु ने कहा, 'पानी बहुत बड़ी मात्रा में आ रहा है। हम इसे न रोक सकते हैं, न ही रोकने की कोशिश कर सकते हैं।' बाढ़ से निपटने की तैयारियों को नज़रअंदाज़ करते हुए पाकिस्तानी सरकार ने रक्षा खर्च को तरजीह दी है। हाल ही में उसने 2025-26 के बजट में रक्षा ख़र्च 20 फ़ीसदी बढ़ाकर 2.55 ट्रिलियन पाकिस्तानी रुपये (9 अरब डॉलर) कर दिया है।

भारतीय मीडिया ने रिपोर्ट किया है कि हाल के हफ़्तों में नई दिल्ली ने मानवीय आधार पर कूटनीतिक माध्यम से पाकिस्तान को बाढ़ की तीन बार चेतावनी जारी की है, हालांकि भारत ने सिंधु जल संधि में अपनी भागीदारी रद्द कर दी है।

65 साल पुरानी यह संधि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी हिंदू राष्ट्रवादी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सरकार ने निलंबित कर दी थी। यह फ़ैसला उन्होंने 22 अप्रैल को भारतीय कश्मीर में हुए एक आतंकवादी हमले के बाद लिया था, जिसमें 26 पर्यटक मारे गए थे। पाकिस्तान ने इस हमले में किसी भी तरह की संलिप्तता से इंकार किया और अंतरराष्ट्रीय जांच की मांग की, लेकिन भारत ने सीधे तौर पर पाकिस्तान को ज़िम्मेदार ठहराया। 7 मई को भारत ने पाकिस्तान के बहुत अंदर तक मिसाइल हमले किए, जिससे चार दिनों तक सीमा के आर पार सैन्य झड़प जारी रही और दोनों परमाणु ताक़तें खुली जंग के क़रीब पहुंच गईं।

पाकिस्तानी अधिकारियों का आरोप है कि भारत ने सिंधु नदी की सहायक नदियों में पानी के स्तर की जानकारी उन्हें पर्याप्त विस्तार और समय पर नहीं दी, जिससे उनके बाढ़ नियंत्रण के प्रयास पंगु हो गए। पाकिस्तान के योजना मंत्री अहसन इक़बाल ने रॉयटर्स को बताया, 'अगर हमारे पास बेहतर जानकारी होती तो हम स्थिति को बेहतर ढंग से संभाल सकते थे।'

रामजीत नदी पर दो बैराज गेट टूटने के बाद यह भी आशंका व्यक्त की जा रही है कि भारत ने जानबूझकर संकट को और बढ़ा दिया। हालांकि भारत ने सख़्ती से इनकार किया है और कहा कि पानी का तेज़ दबाव गेट तोड़ गया और अब वह ऊपर की ओर रंजीत सागर डैम से पानी के बहाव को नियंत्रित करने की कोशिश की जा रही है।

जो भी हो, अगर सिंधु जल संधि अब भी लागू होती, तो दोनों देशों के बीच पानी के बढ़ते स्तर से निपटने के लिए सहयोग और जानकारी का लगातार आदान-प्रदान होता रहता। अब निलंबित हो चुका स्थायी सिंधु आयोग, जिसमें दोनों देशों के आयुक्त शामिल थे, नियमित तौर पर डेटा साझा करता और पानी प्रबंधन के मुद्दों पर चर्चा करता था। इस जानकारी के आदान-प्रदान ने अतीत में सिंधु के पानी को नियंत्रित करने में मदद की थी चाहे वह बाढ़ रोकने के लिए हो, सिंचाई के लिए हो या बिजली उत्पादन के लिए- यहां तक कि तनावपूर्ण हालात में भी, इस साझेदारी की अहम भूमिका थी।

हालांकि 10 मई को भारत और पाकिस्तान के बीच एक कमज़ोर किस्म का युद्धविराम हुआ, लेकिन भारत ने सिंधु जल संधि का निलंबन जारी रखा है। मोदी और गृहमंत्री अमित शाह कई बार कह चुके हैं कि नई दिल्ली अब इसमें वापस नहीं लौटेगी, कम से कम तब तक नहीं जब तक भारत के पक्ष में संधि का फिर से समझौता न हो।

पाकिस्तान के ख़िलाफ़ धमकियां और भारत की सैन्य ताक़त का बखान मोदी के 15 अगस्त के स्वतंत्रता दिवस भाषण के मुख्य बिंदु थे। दिल्ली के लाल क़िले से उन्होंने कहा कि भारत ने 'ऑपरेशन सिंदूर' में बड़ी जीत हासिल की है। यह पाकिस्तान के भीतर अवैध चार दिन की हवाई जंग थी। मोदी ने एलान किया कि भारत अब उन लोगों के बीच कोई फ़र्क़ नहीं करेगा जो आतंकवाद को 'पालते पोसते हैं और पनाह' देते हैं और जो 'आतंकवादियों को ताक़तवर' बनाते हैं। उन्होंने कहा कि भारत 'परमाणु ब्लैकमेल' से नहीं डरेगा और अपने हित आक्रामक तरीक़े से आगे बढ़ाएगा, भले ही इससे जंग का ख़तरा क्यों न बढ़े।

उन्होंने यह भी घोषित किया कि सिंधु जल संधि अब मर चुकी है। मोदी ने इसे 'अन्यायपूर्ण' बताया और कहा, 'भारत का पानी भारत और भारत के किसानों का है। कोई इसे हमसे छीन नहीं सकता।' उन्होंने ज़ोर देकर कहा, 'ख़ून और पानी साथ नहीं बह सकता।'

पाकिस्तान की शिकायत पर हेग स्थित स्थायी मध्यस्थता अदालत (पीसीए) ने 8 अगस्त को अपने फ़ैसले में कहा कि भारत एकतरफ़ा तरीक़े से सिंधु जल संधि को निलंबित नहीं कर सकता। अदालत ने यह भी दोहराया कि 1960 की संधि के अनुसार, पाकिस्तान को सिंधु, झेलम और चिनाब नदियों, जिन्हें सामूहिक रूप से पश्चिमी नदियाँ कहा जाता है, का बिना रोकटोक इस्तेमाल करने का अधिकार है। पाकिस्तान इन नदियों पर सिंचाई और बिजली उत्पादन के लिए बहुत निर्भर है। अदालत ने कहा कि भारत को इन नदियों का पानी संधि की शर्तों के अनुसार, बहने देना होगा और वह अपनी मर्ज़ी से 'बेहतर' इंजीनियरिंग प्रथाओं के नाम पर जलविद्युत परियोजनाएं नहीं चला सकता।

नई दिल्ली ने इन सबको आक्रोशित होकर खारिज कर दिया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि नई दिल्ली ने कभी भी पीसीए की 'क़ानूनी वैधता या अधिकारिता' को स्वीकार नहीं किया। इससे साफ़ है कि मोदी सरकार पाकिस्तान की चेतावनियों और युद्ध की धमकियों के बावजूद अपनी नीति आगे बढ़ाने पर अड़ी हुई है।

ये घटनाएं दिखाती हैं कि 1947 में ब्रिटिश भारत के साम्प्रदायिक बंटवारे ने कितनी विनाशकारी स्थिति पैदा की थी, जिसमें एक ओर 'मुस्लिम पाकिस्तान' और दूसरी ओर 'हिंदू भारत' बना। बाढ़ और पानी के बंटवारे जैसी समस्याओं का हल, जो जलवायु परिवर्तन के चलते और गंभीर हो रही हैं, पूरे उपमहाद्वीप के स्तर पर योजनाबद्ध तालमेल से ही संभव है। लेकिन भारत और पाकिस्तान की भ्रष्ट पूंजीपति हुक़ूमतों की भू-राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता इसकी राह में सबसे बड़ी बाधा बनी हुई है।

भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव अब भी चरम पर है। दोनों देशों ने एक-दूसरे की हवाई सीमा में वाणिज्यिक उड़ानों पर 24 सिततंबर तक प्रतिबंध बढ़ा दिया है। यह प्रतिबंध 22 अप्रैल के पहलगाम हमले के बाद लगाया गया था। इस बीच हथियारों की दौड़ भी तेज़ हो रही है। 20 अगस्त को भारत ने अग्नि-5 मिसाइल का सफल परीक्षण किया, जो 5,000 किलोमीटर की दूरी तक परमाणु या पारंपरिक हथियार ले जा सकती है और 30,000 किलोमीटर प्रति घंटा की गति से निशाने तक पहुंच सकती है। यह विकास पाकिस्तान द्वारा 13 अगस्त को 'आर्मी रॉकेट फ़ोर्स कमांड' बनाने की घोषणा के ठीक एक हफ़्ते बाद हुआ। इसका मक़सद 'रणनीतिक कमियों' को दूर करना था ताकि दुश्मन पर हर दिशा से हमला किया जा सके।

पिछले हफ़्ते शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में दोनों देशों ने एक-दूसरे पर ज़बानी हमले किए थे। पाकिस्तान का नाम लिए बिना मोदी ने कहा कि भारत तब तक चैन से नहीं बैठेगा जब तक 'आतंकवाद' ख़त्म नहीं होता। उन्होंने जोड़ा कि पहलगाम हमला 'सिर्फ़ भारत की आत्मा पर हमला नहीं था बल्कि मानवता पर विश्वास रखने वालों के लिए भी चुनौती था।' पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने उसी सत्र में कहा, 'हम उम्मीद करते हैं कि एससीओ सदस्य देश सभी द्विपक्षीय समझौतों का पालन करेंगे, जिसमें पानी के बंटवारे की संधियां भी शामिल हैं।'

Loading