गुरुवार, 13 जून को सोशलिस्ट इक्वालिटी पार्टी और वर्ल्ड सोशलिस्ट वेब साइट के अंतरराष्ट्रीय संपादकीय बोर्ड की ओर से यह चिट्ठी वॉशिंगटन डीसी में यूक्रेन के राजदूत ओक्साना मारकारोवा को सौंपी जाएगी।
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नेल्ली जनसंहार में भारत की मौजूदा सत्तारूढ़ हिंदू बर्चवस्ववादी बीजेपी ने बड़ी भूमिका निभाई थी. बांग्लादेश से आए बेहद ग़रीब विस्थापित शरणार्थियों के ख़िलाफ़ "अवैध विदेशी" के नाम पर बड़े पैमाने पर सामप्रदायिक भड़काऊ अभियान के कारण यह जनसंहार हुआ था.
Perspective
भारत पर ट्रंप का 50% टैरिफ़ लागू
टैरिफ़ ने धीमी होती विकास दर के संकट से जूझ रही भारतीय अर्थव्यवस्था को और बुरी तरह अस्थिर करने का ख़तरा पैदा कर दिया है जबकि पहले ही यह निजी क्षेत्र की ओर से कम निवेश, सामूहिक बेरोज़गारी और अर्द्धबेरोज़गार की समस्याओं से जूझ रही है।
हालांकि शुरुआती गुस्सा, पिछले हफ़्ते 26 सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्मों पर लगाए गए सरकारी बैन से पैदा हुआ था, लेकिन ये प्रदर्शन असल में अवसरों की कमी, भ्रष्टाचार और अमीर व ग़रीब के बीच बढ़ती सामाजिक खाई को लेकर व्यापक हताशा को प्रतिबिम्बित करते हैं।
हालांकि 10 मई को भारत और पाकिस्तान के बीच एक कमज़ोर संघर्षविराम हो गया, लेकिन भारत सिंधु जल समझौते को निलंबित करना जारी रखा है और नई दिल्ली अब खम ठोंक रही है कि वह इस समझौते के मौजूदा स्वरूप पर वह अब कभी नहीं लौटेगी।
बड़े व्यवसाय परस्त डीएमके की तमिलनाडु सरकार ने निजीकरण के ख़िलाफ़ सफ़ाई कर्मियों के विरोध प्रदर्शन पर पुलिसिया हिंसा का बार बार इस्तेमाल किया है, जबकि स्टालिवादी सीपीएम ने इसी सरकार को लंबे समय से 'प्रगतिशील' बताती आ रही है.
हालांकि इस शिखर सम्मेलन के लिए 20 से अधिक नेता जुटे थे लेकिन सात सालों में पहली बार चीन में भारतीय प्रधानमंत्री की मौजूदगी ने वॉशिंगटन के कान खड़े कर दिए।
यह सौदा हिंद महासागर क्षेत्र में चीन के ख़िलाफ़ नई दिल्ली के रणनीतिक दबदबे का प्रसार है।
हड़तालियों ने कार्य दिवस को बढ़ाने, अनिश्चित ठेका-मज़दूरी वाली नौकरियों को बढ़ाने, निजीकरण, सार्वजनिक सेवाओं के हनन और ऐसे क़ानून के प्रति अपना विरोध जताया जो अधिकांश हड़तालों को अवैध बना देगा।

भारत पाकिस्तान संघर्ष से परमाणु विनाश का ख़तरा
भारत और पाकिस्तान, दक्षिण एशिया के दो प्रतिद्वंद्वी परमाणु हथियार संपन्न शक्ति हैं और एक दूसरे के ख़िलाफ़ पूर्ण युद्ध की कगार पर हैं। अगर ऐसा संघर्ष होता है तो यह बहुत ही विनाशकारी होने वाला है, केवल इस क्षेत्र के दो अरब लोगों के लिए ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए।
ट्रंप प्रशासन का एक महीनाः कुलीन तंत्र बनाम मज़दूर वर्ग
पिछले चार हफ़्तों की परिघटनाओं ने साबित किया है कि ट्रंप की वापसी, असल में अमेरिकी समाज के कुलीन तंत्र वाले चरित्र के साथ कदमताल करने के लिए राजनीतिक अधिरचना में जबरिया फेरबदल का प्रतिनिधित्व करती है।
युद्ध फ़ासीवाद और कुलीनतंत्र के ख़िलाफ़ समाजवाद
पूंजीवादी व्यवस्था के अंतरसंबंधित संकट के पीछे एक कुलीनतंत्र है, जो पूरे समाज को अपने लाभ और निजी दौलत इकट्ठा करने के लिए अपना ग़ुलाम बना लेता है। इस कुलीनतंत्र के ख़िलाफ़ संघर्ष, अपनी प्रकृति में ही एक क्रांतिकारी कार्यभार है।
डोनाल्ड ट्रंप की हत्या की कोशिश
हमले का कारण जो भी कुछ हो, एक बात निश्चित हैः यह पूरे राजनीतिक सत्तातंत्र को दक्षिणपंथ की ओर तेजी से मोड़ देगा।